अपना प्रयास , किसी से कलह ना हो, यदि हो तो तत्काल उसका निवारण कर दें, उसे बैर में परिणत ना होने दें।
यही ग्रहस्थों की क्षमा है।
उत्तम क्षमा तो मुनिराजों की होती है ….
अपकार करने वालों के प्रति भी उपकार के भाव रखना।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि ग़हस्थो के लिए क्षमा का भाव उनकी पुरानी कलह का निवारण करना आवश्यक है। जबकि मुनिराजों की उत्तम क्षमा,अपकार करनें वालों के प्रति भी उपकार के भाव रखना होता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि ग़हस्थो के लिए क्षमा का भाव उनकी पुरानी कलह का निवारण करना आवश्यक है। जबकि मुनिराजों की उत्तम क्षमा,अपकार करनें वालों के प्रति भी उपकार के भाव रखना होता है।