यदि आप के चंद मीठे बोलों से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्त-दान है,
यदि आप के द्वारा किसी की पीठ थपथपाने से उसकी थकावट दूर होती है तो यह भी श्रम-दान है।
यदि आप कुछ भी खाते समय उतना ही प्लेट में लें कि कुछ भी व्यर्थ ना जाए तो यह भी अन्न-दान है।
🙏🙏 स्वाति-भोपाल 🙏🙏
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2 Responses
परोपकार की भावना से अपनी वस्तु का अर्पण करना दान कहलाता है।दान चार प़कार के होते हैं।
1आहार दान 2ओषधि दान 3उपकरण या ज्ञान दान 4अभय दान।आजकल ज्यादातर करुणा दान करते हैं जब की परमार्थ क्षेत्र के लिए ये चार दान महत्वपूर्ण हैं।
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परोपकार की भावना से अपनी वस्तु का अर्पण करना दान कहलाता है।दान चार प़कार के होते हैं।
1आहार दान 2ओषधि दान 3उपकरण या ज्ञान दान 4अभय दान।आजकल ज्यादातर करुणा दान करते हैं जब की परमार्थ क्षेत्र के लिए ये चार दान महत्वपूर्ण हैं।
Very true .At times, without contributing materially also, we can make immense contributions, with good actions and words, as explained above.