उपरोक्त कथन सत्य है कि पंक्षी एक एक दाना खाने के लिए सौ सौ बार शीस झुकाता है लेकिन बंदा यानी मनुष्य सौ सौ पदार्थ खाकर भी भगवान या ईश्वर को धन्यवाद या शुक्रगुजार नहीं करता है। अतः जीवन में भगवान् और गुरुओं को हमेशा नमन करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि पंक्षी एक एक दाना खाने के लिए सौ सौ बार शीस झुकाता है लेकिन बंदा यानी मनुष्य सौ सौ पदार्थ खाकर भी भगवान या ईश्वर को धन्यवाद या शुक्रगुजार नहीं करता है। अतः जीवन में भगवान् और गुरुओं को हमेशा नमन करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।