पर्यूषण

🌻🌻महापर्व पर्युषण🌻🌻

नहीं उपवास कर पाओ,
तो तुम उपहास से बचना।
अगर दर्शन न हो संभव,
प्रदर्शन से ही तुम बचना।

कमी वंदन में रह जाये,
तो बंधन से ही बच जाना।
प्रवचन सुन न पाओ तो,
दुर्वचन से ही बच जाना।

केशलोचन न हो संभव,
क्लेश-लोचन ही कर लेना।
न भोजन छोड़ पाओ तो
भजन भी छोड़ मत देना।

न कर पाओ प्रतिक्रमण,
अतिक्रमण से बच जाना।
क्षमा गर माँग न पाओ
क्षमा करके ही तिर जाना।

न मीठे बोल कह पाओ तो
केवल मौन रह जाना।
कहे कोई अगर कड़वा,
उसे हँसके ही सह जाना।

निभा पाओ न रिश्तों को
तो उनको तोड़ मत देना।
किसी का हाथ तुम धरके,
राह में छोड़ मत देना।

(डॉ.पी.एन.जैन)

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One Response

  1. पर्व तो बहुत होते हैं लेकिन पर्यूषण को महापर्व माना जाता हैं। अतः जो उपरोक्त कथन हैं वह सत्य है,जिसको प़त्येक व्यक्ती को अनुसरण करना चाहिए जिससे आत्मा को विशुद्ध भाव में बढ़ने का प्रयास होगा।

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