पर्यूषण / उत्तम क्षमा
पर्यूषण में Rituals से Spiritual की ओर बढ़ना है;
Spiritual यानि उतार/ चढ़ाव में स्थिरता ।
क्षमा यानि धरती जैसी सहिष्णुता ।
4 स्थितियों में …
1) स्वार्थवश
2) मज़बूरी में/ परिस्थितिवश
3) भड़ास निकालने के बाद
4) अंतरआत्मा से – असली/ उत्तम ।
जब 1) से 3) में क्षमा रखते हैं तो अंतरआत्मा से क्यों नहीं !
क्रोध के संस्कार तो हैं पर कलह मत होने दें;
कलह के कारण…
1) रुचि भेद
2) आग्रह
3) ग़लतफहमी
4) स्वार्थ/अहम् –
स्वार्थ सबसे बड़ा कारण है और अहम् उसे हवा देता है ।
बदले का मज़ा तो एक दिन का, क्षमा जीवन भर की ।
बदला नहीं बदलें ।
बार-बार भावना भायें… “मुझे क्षमा रखनी है”
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि क्षमा यानी धरती जैसी सहिष्णुता होनी चाहिए।क्षमा 4 परिस्थितियों का बताया गया है।स्वार्थ वस, मजबूरी या परिस्थितिवश, भड़ास निकालने के बाद,अन्तर आत्मा से जो असली, उत्तम होती हैं।अंतरंग आत्मा से क्यो नही होती हैं, उसके मुख्य कारण,रुचि भेद,आग़ह और गलत फहमी, इसके अतिरिक्त अहम, इसके लिए स्वार्थ जो सबको हवा देता है। अतः यह कथन सत्य है कि बदले का का मज़ा एक दिन के लिए होता है जबकि क्षमा जीवन को बदल देता है। अतः हमेशा बार बार भावें की मुझे क्षमा रखनी है। ताकि जीवन सार्थक हो सकता है।