पुदगल द्रव्य का ग्रहण
(नीचे की गाथा देखें – यह बात कैसे सिद्ध होगी कि जीव ने अनंत बार सब पुदगल परमाणुओं को ग्रहण किया है ?)
आ. नेमीचंद्र जी के अनुसार – जैसे छोटे से अंगारे से पैर के छोटे भाग के जल जाने पर हम कहते हैं कि पैर जल गया, इसी तरह Total द्रव्य का वो भाग जो परिवर्तित होने योग्य है, उसे ग्रहण करने पर ये कहा जायेगा कि सारे द्रव्यों को ग्रहण कर लिया, हालांकि सबका ग्रहण नहीं किया है ।
कर्मकांड़ गाथा : – 188