प्रभु! पतित से पावन बने हो; इसलिये पतितों को पावन करते हो!
(“पतित-पावन” विशेषण सिर्फ भगवान के लिये लगाया जा सकता है)
आपका भूत मेरे वर्तमान जैसा ही था । इसलिये अपना भविष्य आपके वर्तमान जैसा बनाने आपकी शरण में आया हूँ ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि प़भु जी पतित से पावन बनें हो, इसलिए पतित को पावन करते हो। हम लोग भगवान् के दर्शन इसलिए करते हैं कि भगवान् आपने अपनी बुराईयां को नष्ट किया था, अतः आपसे शिक्षा मिलती है कि हम सभी लोग अपनी बुराईयों को दूर करके अपनी आपनी आत्मा के हित में ही लगे रहें । अतः हम लोग इसलिए आपकी शरण में आते हैं कि हम लोग भी भगवान बनने का प्रयास करें, यदि भगवान् न बन सकें तो जीवन को पुण्य बनाने का प्रयास करते रहें।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि प़भु जी पतित से पावन बनें हो, इसलिए पतित को पावन करते हो। हम लोग भगवान् के दर्शन इसलिए करते हैं कि भगवान् आपने अपनी बुराईयां को नष्ट किया था, अतः आपसे शिक्षा मिलती है कि हम सभी लोग अपनी बुराईयों को दूर करके अपनी आपनी आत्मा के हित में ही लगे रहें । अतः हम लोग इसलिए आपकी शरण में आते हैं कि हम लोग भी भगवान बनने का प्रयास करें, यदि भगवान् न बन सकें तो जीवन को पुण्य बनाने का प्रयास करते रहें।