फ़र्क पड़ता है

एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद लाखों मछलियाँ किनारे पर तड़प तड़प कर मर रहीँ थीं ! एक बच्चे से रहा नहीं गया,
और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेंकने लगा !
यह देख कर उसकी माँ बोली…
बेटा लाखों की संख्या में हैं, तू कितनों की जान बचाएगा, रहने दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता !
बच्चे ने एक और मछली को समुद्र में फेंकते हुए कहा… माँ इसको तो फ़र्क पड़ता है न ?

लोगों को हमेशा हौसला और उम्मीद देने की कोशिश करें, न जानें कब आपकी वजह से किसी की ज़िंदगी बदल जाए !
क्योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता,
पर,
“उसको तो फ़र्क पड़ता है”  ।

(रजनी)

Share this on...

2 Responses

  1. Suresh chandra jain

    Yah bahut sunder kathan hai; aapko koi fark nahin padta hai, lekin usse doosron par fark padta hai; yahi dharm ka updesh hai, jiska paalan karna chahiye.

  2. Very true. Besides, our role is to do “purushartha”; if we know what is the right thing to be done, we should not waste time thinking about the results because that will be an excuse for avoiding our duty and will result in “pramaad”. Every effort that we make, big or small, does make a difference.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

September 27, 2016

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930