भक्त
गुटका आदि व्यसनों से भक्त को ज्यादा पाप लगता है क्योंकि उनको तो प्रशस्त-पुण्य मिला था गुरु/भगवान की सेवा करने का, उस पुण्य को उन्होंने ऐसे कामों में बर्बाद कर लिया !
मुनि श्री सुधासागर जी
गुटका आदि व्यसनों से भक्त को ज्यादा पाप लगता है क्योंकि उनको तो प्रशस्त-पुण्य मिला था गुरु/भगवान की सेवा करने का, उस पुण्य को उन्होंने ऐसे कामों में बर्बाद कर लिया !
मुनि श्री सुधासागर जी
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भक्त अर्हन्त आदि के गुणों में अनुराग रखता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि गुटखा आदि व्यसनों से ज्यादा पाप लगता है, क्योंकि उसे तो प़शस्त पुण्य मिला था। यदि वह पाप करने की अपेक्षा गुरु और भगवान् की सेवा करता तो उसका समय बर्बाद नहीं होता। अतः जीवन में पाप के कार्यों से बचना चाहिए,उसकी जगह पुण्य कमाने में लगन रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।