जो संसार से विभक्त होकर,
भगवान/गुरु के चरणों में समर्पण कर दे ।
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यह कथन सत्य है कि जो संसार से विभत्त होकर भगवान् और गुरु के प्रति समर्पण करता है वही सच्चा भक्त होगा। अतः जीवन में भक्त बनने के लिए भगवान् और गुरु के प्रति श्रद्वान और समपर्ण के भाव होना चाहिए।
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यह कथन सत्य है कि जो संसार से विभत्त होकर भगवान् और गुरु के प्रति समर्पण करता है वही सच्चा भक्त होगा। अतः जीवन में भक्त बनने के लिए भगवान् और गुरु के प्रति श्रद्वान और समपर्ण के भाव होना चाहिए।