निकट-भव्य, गुरुवचन/जिनवाणी पर पूर्ण विश्वास करता है,
दूर-भव्य शंका करता है,
अभव्य विपरीत श्रद्धा करता है ।
मुनि श्री विनिश्चयसागर जी
Share this on...
One Response
मुक्त होने की योग्यता होने पर भी जो मुक्त नहींं होगे उनको अभव्यसम भव् कहते हैं।
जो गुरुवचन और जिनवाणी पर पूर्ण विश्वास करता है, उसको निकट-भव्य कहते हैं।
जो विपरीत श्रद्वा करता है,उसे दूर भव्य कहते हैं।
अतः जो गुरुवचन और जिनवाणी पर श्रद्वा करता है वही मुक्त हो सकता है।
One Response
मुक्त होने की योग्यता होने पर भी जो मुक्त नहींं होगे उनको अभव्यसम भव् कहते हैं।
जो गुरुवचन और जिनवाणी पर पूर्ण विश्वास करता है, उसको निकट-भव्य कहते हैं।
जो विपरीत श्रद्वा करता है,उसे दूर भव्य कहते हैं।
अतः जो गुरुवचन और जिनवाणी पर श्रद्वा करता है वही मुक्त हो सकता है।