मंज़िल और रास्ते

अंदाज़ कुछ अलग है मेरे सोचने का…

सबको मंज़िल की तमन्ना है,
मुझे रास्ते की ।

(श्रीमति शर्मा)

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3 Responses

    1. रास्ता याने पुरुषार्थ,
      बस यही तो है हमारे हाथ में;
      इसी से संतोष मिलता है ।

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