मरण
किसी धर्मशाला में आप रहें, ना रहें या कितने समय रहें; इसमें दुखी होने की आवश्यकता नहीं है ।
मरण में धर्मशाला ही तो छोड़नी है ।
चिंतन
किसी धर्मशाला में आप रहें, ना रहें या कितने समय रहें; इसमें दुखी होने की आवश्यकता नहीं है ।
मरण में धर्मशाला ही तो छोड़नी है ।
चिंतन