विपरीतता / गुरुपूर्णमाँ

विपरीतता प्रकृति का नियम है ।
प्रतिकूल वातावरण में अनुकूल की साधना ही सच्ची साधना है ।
हीरा कोयले की खान में ही ।
शंख/गाय किसी भी रंग का खाकर सफेद रंग का शरीर/दूध बनाते हैं ।

मुनि श्री महासागर जी

और यह साधना सम्भव होती है …गुरु कृपा से …
गुरु ?
माँ ही प्रथम गुरु है,
और
गुरु ही पूर्ण माँ … गुरु पूर्ण माँ

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि विपरीतता प़कृति का नियम है। अतः सच्ची साधना वही है कि प़तिकूल वातावरण में अनुकूल बनाना । शंख/ गाय किसी रंग का खाकर सफेद रंग का शरीर/ दूध बनाते हैं। अतः जीव को प़तिकूल से अनुकूल बनाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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