वैभव

मैं नमक की तरह हूँ ।
जो जरुरी तो है,
मगर जरुरत से ज्यादा हो तो
जिंदगी का स्वाद बिगाड़ देता हूँ ।

मैं बोलता नहीं….
मगर
सबकी बोलती बंद करवा सकता हूँ ।

आपके पास नहीं हूँ तो आपका नहीं हूँ ।
मगर
मैं आपके पास हूँ, तो सब आपके हैं ।

मैं कुछ भी नहीं हूँ, मगर मैं निर्धारित करता हूँ ।
कि लोग आपको कितनी इज्जत देते हैं ।

मैं सारे फसाद की जड़ हूँ ।
मगर
फिर भी न जाने क्यों सब मेरे पीछे इतने पागल हैं !

मुझे पसंद करो
सिर्फ इस हद तक कि
लोग आपको नापसन्द न करने लगें ।

मुझे आप मरने के बाद ऊपर नहीं ले जा सकते ।
मगर जीते जी मैं आपको
बहुत ऊपर ले जा सकता हूँ।

क्योंकि मैं वैभव (धन, दौलत, शौहरत, ऎश्वर्य ) हूँ ।।

(धर्मेंद्र)

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5 Responses

  1. Nice one, but I want to add some facts. Jeetejee upar hee le jaay yah koi niyam nahin aur yadi jeetejee nahin chhoda to bahut neeche le ja sakta hai.

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