वक़्त
हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं |
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं |
सारे नाम मोबाइल में हैं,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं |
आखों में है नींद भरी,
पर सोने का वक़्त नहीं |
पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
कि थकने का भी वक़्त नहीं |
तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा |
कि हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं |
3 Responses
very strange behavior
no time
for
one-self
Jis sharirko maintain karne ke liy paisa kamate he,
us sharir ko maintain karne ka samay hi nahi.
strange but true.