मुनि भवदेव के अपनी पत्नी की कुशलक्षेम पूछने पर वैश्या ने बहुत सारी कथा सुनाकर संबोधन किया, राग को वमन ग्रहण करने की वीभत्स तुलना भी कर दी (उत्तर-पुराण पेज – 541) ।
राजा श्रेणिक ने भी दो बार मुनियों को संबोधन किया था (उत्तर-पुराण) ।
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मुनियों के कथन अनुसार श्रावक मुनियों को संबोधन की पात्रता रखते हैं। राजा श्रेणिक ने उस समय दीक्षा नहीं ली थी पर संबोधन करते हैं।
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मुनियों के कथन अनुसार श्रावक मुनियों को संबोधन की पात्रता रखते हैं। राजा श्रेणिक ने उस समय दीक्षा नहीं ली थी पर संबोधन करते हैं।