सुबह, आहार संज्ञा प्रमुख रहती है,
दिन में परिग्रह,
शाम को भय,
रात्री में मैथुन ।
मुनि श्री अविचलसागर जी
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संज्ञायों का मतलब आहार आदि विषयों की अभिलाषा को कहते हैं,यह चार प्रकार की होती हैं, आहार,भय,मैथुन व परिग़ह से संसारी जीव अनादि काल से पीड़ित हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि सुबह, आहार संज्ञा प़मुख रहती है, जबकि दिन में परिग़ह,शाम को भय और रात्रि में मैथुन।
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संज्ञायों का मतलब आहार आदि विषयों की अभिलाषा को कहते हैं,यह चार प्रकार की होती हैं, आहार,भय,मैथुन व परिग़ह से संसारी जीव अनादि काल से पीड़ित हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि सुबह, आहार संज्ञा प़मुख रहती है, जबकि दिन में परिग़ह,शाम को भय और रात्रि में मैथुन।