पहले गुरुकुल (गुरु के कुल) में जाते थे, वैसे ही संस्कार पाते थे ।
आज स्कूल (ईशु के कुल) में जाते हैं, संस्कार कैसे पा रहे हैं !
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जीवन में संस्कार होना परम आवश्यक है। भारतीयता होना ही महत्वपूर्ण है, इसके बिना अपने जीवन का कभी उत्थान नहीं हो सकता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पहिले गुरुकुल यानी गुरु के कुल में जाते थे, जिससे उच्च संस्कार मिलते थे, ब़ह्मचर्य में रहकर सभी संस्कार मिलते थे, जिसमें जीवन जीने की शैली और आध्यात्मिकता रहती थी। लेकिन भारत में पहिले मुगलों ने शासन किया, उसके बाद अंग्रेजों ने, जिसके कारण भारतीय संस्कृति का विनाश हुआ था, जिसके कारण आज वह संस्कार उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक होकर, उसके प्रति सभी को प्रेरणा देने का कार्य किया जा रहा है। आजकल की शिक्षा में तो नौकरी की गुलामी करने को मजबूर होते हैं।
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जीवन में संस्कार होना परम आवश्यक है। भारतीयता होना ही महत्वपूर्ण है, इसके बिना अपने जीवन का कभी उत्थान नहीं हो सकता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पहिले गुरुकुल यानी गुरु के कुल में जाते थे, जिससे उच्च संस्कार मिलते थे, ब़ह्मचर्य में रहकर सभी संस्कार मिलते थे, जिसमें जीवन जीने की शैली और आध्यात्मिकता रहती थी। लेकिन भारत में पहिले मुगलों ने शासन किया, उसके बाद अंग्रेजों ने, जिसके कारण भारतीय संस्कृति का विनाश हुआ था, जिसके कारण आज वह संस्कार उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूक होकर, उसके प्रति सभी को प्रेरणा देने का कार्य किया जा रहा है। आजकल की शिक्षा में तो नौकरी की गुलामी करने को मजबूर होते हैं।