समस्यायें ऊँटों के समूहों जैसी होती हैं – कुछ अपने आप बैठ जाते हैं, कुछ बिठाने से,
कुछ बैठते ही नहीं तथा कुछ बैठ कर फिर खड़े हो जाते हैं ।
ज्यादा सिरफोड़ी नहीं करना Normal पुरुषार्थ करो, बाकी को स्वीकार कर लो ।
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मनुष्यों की समस्यायें ऊँटों की तरह होती हैं लेकिन ऊँट तो अपनी जीवन शैली साधारण रुप से व्यतीत कर लेते हैं। लेकिन मनुष्यों की समस्यायें उलझन भरी रहती हैं लेकिन अपना मन व हृदय से पुरुषार्थ नहीं करते हैं ,इसलिये विफल रहते हैं। अतः मनुष्यों का जीवन बडी मुश्किल से मिलता है इसलिये धर्म से जुडकर अपनी समस्यों को हल कर सकते हैं।
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मनुष्यों की समस्यायें ऊँटों की तरह होती हैं लेकिन ऊँट तो अपनी जीवन शैली साधारण रुप से व्यतीत कर लेते हैं। लेकिन मनुष्यों की समस्यायें उलझन भरी रहती हैं लेकिन अपना मन व हृदय से पुरुषार्थ नहीं करते हैं ,इसलिये विफल रहते हैं। अतः मनुष्यों का जीवन बडी मुश्किल से मिलता है इसलिये धर्म से जुडकर अपनी समस्यों को हल कर सकते हैं।