1008 शुभ लक्षण, 5 कल्याणक वाले तीर्थंकरों के ही, अन्य केवलियों के नहीं ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
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चार घातिया कर्मो के क्षय होने से जिन्हे केवल ज्ञान प़ाप्त हो गया है वे केवली कहलाते हैं और इनको अर्हन्त भी कहते हैं।केवली दो प़कार के होते हैं एक सयोग और अयोग।अतः जिनमे 1008 शुभ लक्षण और 5 कल्याणक होते हैं वह तीर्थकरों के होते हैं जब कि अन्य केवलीयों के नहीं होते हैं।
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चार घातिया कर्मो के क्षय होने से जिन्हे केवल ज्ञान प़ाप्त हो गया है वे केवली कहलाते हैं और इनको अर्हन्त भी कहते हैं।केवली दो प़कार के होते हैं एक सयोग और अयोग।अतः जिनमे 1008 शुभ लक्षण और 5 कल्याणक होते हैं वह तीर्थकरों के होते हैं जब कि अन्य केवलीयों के नहीं होते हैं।