सुख / शान्ति
व्यथा में सुख की नहीं, शान्ति की तलाश रहती है ।
सुख की खोज तो अंतहीन है (जैसे ही व्यथा समाप्त हुई, फिर से सुख की खोज में लग जाते हैं) ।
क्षु. श्री ध्यानसागर जी
व्यथा में सुख की नहीं, शान्ति की तलाश रहती है ।
सुख की खोज तो अंतहीन है (जैसे ही व्यथा समाप्त हुई, फिर से सुख की खोज में लग जाते हैं) ।
क्षु. श्री ध्यानसागर जी
One Response
Sukh or dukh to hamesha aate rehte hain; unako sweekaar karna hoga,
lekin shanti ke liye bhagwaan ke charnon mein jaana he padega, tabhi shanti milegi.