सुख
सुख अपनों में ही नहीं, बाहर वालों में भी ।
दूसरों को सुखी बनाने का सुख, अपने सुख से ज्यादा होता है ।
पूर्ण सुख – कुछ घर का, कुछ बाहर का ।
अपने में से दूसरों को कितना दिया ?
कमाई बिना टैक्स दिये जेल की सज़ा ।
बिना दान – दुर्गति ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि बिना दान दुर्गति होती है।दान देना जीवन का महत्वपूर्ण योगदान है, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है। अपने सुख की इच्छा ती हर जीव करता है , लेकिन दुसरो को सुख देना ही अपना कर्तव्य होना चाहिए ताकि जीवन में पुण्य की प्राप्ति अहोगी।यह कथन भी सत्य है कि अपनी कमाई पर टैक्स नहीं देता है, उसको जेल जाना पड़ेगा। अतः जीवन में पुण्य अर्जित करने के लिए आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।