स्वाहा शान्ति वाचक बीजाक्षर है, इसको पूजा में द़व्य अर्पण यानी चढ़ाते समय प़योग किया जाता है। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि स्व की वस्तुओं का अर्पण करना होता है जो मंगलरुप होता है। इसको व्यवहार में सर्वनाश माना जाता है। Reply
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स्वाहा शान्ति वाचक बीजाक्षर है, इसको पूजा में द़व्य अर्पण यानी चढ़ाते समय प़योग किया जाता है। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि स्व की वस्तुओं का अर्पण करना होता है जो मंगलरुप होता है। इसको व्यवहार में सर्वनाश माना जाता है।