पुरुषार्थ रूपी हनुमान ही, शांति रूपा सीता को आत्मा राम से मिला सकते हैं।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़यत्न करना होता है।यह चार प्रकार के होते हैं, धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष। धर्म और मोक्ष पुरुषार्थ के द्वारा जीव मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास होता है, जबकि धर्म रहित संसार बढ़ाने वाला होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुरुषार्थ रुपी हनुमान ही शान्ति रुप सीता को आत्मा राम से मिल सकते हैं। अतः जीवन में मनुष्य को भी धर्म रुपी पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़यत्न करना होता है।यह चार प्रकार के होते हैं, धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष। धर्म और मोक्ष पुरुषार्थ के द्वारा जीव मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास होता है, जबकि धर्म रहित संसार बढ़ाने वाला होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पुरुषार्थ रुपी हनुमान ही शान्ति रुप सीता को आत्मा राम से मिल सकते हैं। अतः जीवन में मनुष्य को भी धर्म रुपी पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।