जीवन में हर प़ाणी अच्छा बनना चाहता है लेकिन अच्छा बनने के लिए अच्छा कर्म करना चाहिए, इसके लिए अच्छे के साथ अच्छा करना चाहिए, लेकिन बुरे के साथ बुरा नहीं करना चाहिए ताकि आपका कल्याण हो सकता है।आपके साथ कोई बुरा करता करता है तो वह उसका कर्म है, जिसका फल उसे ही मिलता है।अतः किसी के साथ बुरा नहीं करना ही अपना धर्म है।धर्म का यही सिद्वान्त है कि किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए।
Beautiful!! This explains the importance of self-control and discipline within, that does not get shaken by external forces .However strong the external stimulus be, if we are truly enlightened, we will not react.
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जीवन में हर प़ाणी अच्छा बनना चाहता है लेकिन अच्छा बनने के लिए अच्छा कर्म करना चाहिए, इसके लिए अच्छे के साथ अच्छा करना चाहिए, लेकिन बुरे के साथ बुरा नहीं करना चाहिए ताकि आपका कल्याण हो सकता है।आपके साथ कोई बुरा करता करता है तो वह उसका कर्म है, जिसका फल उसे ही मिलता है।अतः किसी के साथ बुरा नहीं करना ही अपना धर्म है।धर्म का यही सिद्वान्त है कि किसी के साथ बुरा नहीं करना चाहिए।
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