अनंत

अभव्य अनंत, भव्य-अनंतानंत;
भूत अनंत समयों का, भविष्य – अनंतानंत समयों का।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. अनंत का मतलब निरंतर व्यय होने पर भी जो राशी कभी समाप्त न हो उसे कहते हैं।
    अतः मुनि महाराज जी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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