रावण 16 हजार रानियों को भोगता था, पर पापी नहीं;
सीता पर बुरी दृष्टी डाली तो पापी – अनर्थदंड।
जो भोजन मिलना नहीं, उसका मन क्यों बनाना !
मुनि श्री सुधासागर जी
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जैन दर्शन में जो जीव गलत कार्य या पाप करता है, उसको उसका दंड अवश्य भुगतना पड़ता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि रावण पापी नहीं था लेकिन सीता जी पर बुरी द्वष्टि डाली गई थी,इस कारण उसको अनर्थदंड भोगना पड़ रहा है। अतः जीवन में मन के भावों में भी ग़लत कार्य करने के होते हैं, उसको भी अनर्थ दण्ड का पात्र बनना निश्चय होगा।
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जैन दर्शन में जो जीव गलत कार्य या पाप करता है, उसको उसका दंड अवश्य भुगतना पड़ता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि रावण पापी नहीं था लेकिन सीता जी पर बुरी द्वष्टि डाली गई थी,इस कारण उसको अनर्थदंड भोगना पड़ रहा है। अतः जीवन में मन के भावों में भी ग़लत कार्य करने के होते हैं, उसको भी अनर्थ दण्ड का पात्र बनना निश्चय होगा।