अनर्थदंड

रावण 16 हजार रानियों को भोगता था, पर पापी नहीं;
सीता पर बुरी दृष्टी डाली तो पापी – अनर्थदंड।
जो भोजन मिलना नहीं, उसका मन क्यों बनाना !

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

One Response

  1. जैन दर्शन में जो जीव गलत कार्य या पाप करता है, उसको उसका दंड अवश्य भुगतना पड़ता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि रावण पापी नहीं था लेकिन सीता जी पर बुरी द्वष्टि डाली गई थी,इस कारण उसको अनर्थदंड भोगना पड़ रहा है। अतः जीवन में मन के भावों में भी ग़लत कार्य करने के होते हैं, उसको भी अनर्थ दण्ड का पात्र बनना निश्चय होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 5, 2022

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031