सुने हुये अर्थ का श्रुत के अनुसार चिंतन करना अनुप्रेक्षा है।
बार बार विचार करने से विषय अच्छे ढ़ंग से खुल जाता है।
बहुत नहीं, बहुत बार पढ़ने से ज्ञान का समार्जन होता है।
स्मरण से निकल न जाय, इसके लिये बार बार चिंतन करें।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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अनुप्रेक्षा का तात्पर्य संसार,शरीर,भोग सामग्री के स्वभाव का चिंतन करना। जैसे धर्म में बारह भावनाऐं कहलाती है, अतः इसका बार बार अभ्यास करना अनुप्रेक्षा का स्वाध्याय होता है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए बारह भावनाओं का स्वाध्याय करना परम आवश्यक है।
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अनुप्रेक्षा का तात्पर्य संसार,शरीर,भोग सामग्री के स्वभाव का चिंतन करना। जैसे धर्म में बारह भावनाऐं कहलाती है, अतः इसका बार बार अभ्यास करना अनुप्रेक्षा का स्वाध्याय होता है। अतः जीवन का कल्याण करने के लिए बारह भावनाओं का स्वाध्याय करना परम आवश्यक है।