अपने को ढ़ूंढ़ना

परायों में अपनों को ढ़ूंढ़ना कठिन काम,
अपनों में* अपने को ढ़ूंढ़ना और कठिन,
अपने में अपने-आपको ढ़ूंढ़ना सबसे कठिन, पर सबसे उपयोगी भी ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

(* अपनों में परायों को ढ़ूँढ़ना भी बहुत कठिन )

Share this on...

One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि परायों में अपनों को ढूंढना कठिन काम है, जबकि अपनों में, अपने को ढूंढना और कठिन है लेकिन सबसे उपयोगी है। अतः अपने में अपने वास्तविक स्वरूप को पहिचाना आवश्यक है, यानी जिस समय अपनी आत्मा का ज्ञान हो जावेगा,तभी अपनी आत्मा का हित करने में समर्थ हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

June 27, 2021

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930