यह कथन बिलकुल सत्य है ।आजकल, अभिमान को स्वाभिमान मानकर जीते हैं, वह अपना सम्मान भी खो देते हैं ।सम्मान को स्वाभिमान न समझें; तभी आपका कल्याण होगा। Reply
4 Responses
Why have we said that “Moha mein swaabhimaan rah nahin sakta” ?
मोह में adjustments बहुत करने पड़ते हैं,
छोटों की भी नाज़ायज़ बातें सहनी पड़ती हैं ।
यह कथन बिलकुल सत्य है ।आजकल, अभिमान को स्वाभिमान मानकर जीते हैं, वह अपना सम्मान भी खो देते हैं ।सम्मान को स्वाभिमान न समझें; तभी आपका कल्याण होगा।
Okay.