आकाश वैसे तो अरूपी/वर्ण रहित है ।
पर यह पुदगल पिंड़ों से भरा हुआ है, सो चाँदनी रात में दूधिया, सूर्य से लाल/पीला, रात को नीला/काला दिखाई देता है ।
आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
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पुदगल- – जो पूरण और गलन स्वभाव वाला है वह पुदगल है अथवा जिसमें रुप रस गंध व स्पर्श या चारों गुण पाए जाते हैं वे पुदगल हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि आकाश वैसे तो अरुपी और वर्ण रहित है लेकिन यह पुदगल पिंडों से भरा हुआ है,सो चांदनी रात में दूधिया, सूर्य से लाल पीला और रात को नीला काला दिखाई देता है।
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पुदगल- – जो पूरण और गलन स्वभाव वाला है वह पुदगल है अथवा जिसमें रुप रस गंध व स्पर्श या चारों गुण पाए जाते हैं वे पुदगल हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि आकाश वैसे तो अरुपी और वर्ण रहित है लेकिन यह पुदगल पिंडों से भरा हुआ है,सो चांदनी रात में दूधिया, सूर्य से लाल पीला और रात को नीला काला दिखाई देता है।