एक शिष्य रोज़ाना पूछता था – आत्मा/परमात्मा प्रत्यक्ष दिखाओ ।
एक दिन, ऊपर से कुछ भारी वस्तु उसके ऊपर आ गिरी, उसके मुँह से आ निकला – “हे प्रभु, बचाओ” ।
गुरु – जिसने पुकारा वह आत्मा, जिसे पुकारा वह परमात्मा ।
दिख गए दोनों !!
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बहुत सुंदर कथन है, कि आत्मा /परमात्मा पर विशुद्ध भाव से श्रद्धान करना होगा; तभी पहचान भी होगी और कल्याण भी होगा ।
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बहुत सुंदर कथन है, कि आत्मा /परमात्मा पर विशुद्ध भाव से श्रद्धान करना होगा; तभी पहचान भी होगी और कल्याण भी होगा ।