एक दर्शन का मत है कि आत्मा 5तत्त्वों से मिलकर बनी है।
तो मिट्टी की हांडी में कुछ पक रहा हो तो पृथ्वी (मिट्टी), अग्नि, आकाश, वायु तथा जल, पांचों तत्त्व मिल गये तो आत्मा बन जानी थी!
सत्य यह है कि आत्मा अनादि से है, उसकी अलग-अलग पर्याय अलग-अलग पोशाकें हैं ।
आचार्य श्री वसुनंदी जी
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4 Responses
आत्मा जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।यह भी तीन प्रकार की होती है, बहिरात्मा, अंतरात्मा एवं परमात्मा।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।सत्य यह भी है कि आत्मा अनादि से है उसकी अलग-अलग पर्याय एवं अलग-अलग पोशाकें होती हैं। अतः परमात्मा बनने के लिए मोक्ष पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
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आत्मा जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख आदि गुणों में वर्तता या परिणमन करता है।यह भी तीन प्रकार की होती है, बहिरात्मा, अंतरात्मा एवं परमात्मा।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।सत्य यह भी है कि आत्मा अनादि से है उसकी अलग-अलग पर्याय एवं अलग-अलग पोशाकें होती हैं। अतः परमात्मा बनने के लिए मोक्ष पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है।
” आकाश ” aur ” वायु ” me kya difference hai ?
आकाश तो vacum है, वायु एकेंद्रिय जीवों का समूह।
Okay.