आत्मा में स्पर्श/स्वाद/गंध/वर्ण नहीं होता,
पर आत्मा ही स्पर्श/स्वाद/गंध/वर्ण को महसूस करती है ।
चिंतन
Share this on...
One Response
आत्मा जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख में वर्तता या परिणमन करता है वह आत्मा है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि आत्मा में स्पर्श,स्वाद,गंध ओर वर्ण नहीं होता है लेकिन आत्मा ही स्पर्श,स्वाद,गंध और वर्ण को महसूस अवश्य करती है।
One Response
आत्मा जो यथासंभव ज्ञान दर्शन सुख में वर्तता या परिणमन करता है वह आत्मा है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि आत्मा में स्पर्श,स्वाद,गंध ओर वर्ण नहीं होता है लेकिन आत्मा ही स्पर्श,स्वाद,गंध और वर्ण को महसूस अवश्य करती है।