समय फिसलता नहीं, रेत की तरह मुट्ठी से फिसलते तो हम हैं, समय की मुट्ठी से,
सिर्फ़ नम बने रहकर ही टिक सकते हैं हम इस समय की मुट्ठी में ।
(अभिषेक-शिवपुरी)
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