ज्योति की कालिख़, धुंआ है ।
(मानवीय गुणों की कालिख़ आलोचना है)
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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4 Responses
यह कथन बिलकुल सत्य है – – – –
मनुष्यों को दूसरों की आलोचना नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ज्योति की कालिख के समान है। अलोचना एक बुराई है जो पाप की श्रेणी में आता है। अतः उचित होगा कि अपनी ही अलोचना प़ेत्यक दिन करना चाहिए जिससे अपनी बुराईयों के प्रति जागरुप होकर उसे मिटाने का प्रयास किया जावे तब ही जीवन का कल्याण होगा।
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – – –
मनुष्यों को दूसरों की आलोचना नहीं करना चाहिए क्योंकि यह ज्योति की कालिख के समान है। अलोचना एक बुराई है जो पाप की श्रेणी में आता है। अतः उचित होगा कि अपनी ही अलोचना प़ेत्यक दिन करना चाहिए जिससे अपनी बुराईयों के प्रति जागरुप होकर उसे मिटाने का प्रयास किया जावे तब ही जीवन का कल्याण होगा।
What do we mean by “manaveeya” in the above context, please?
जिस तरह ज्योति की कालिख धुआं है,
वैसे ही humanbeing की कालिख “आलोचना” है ।
Okay.