पंचाश्चर्य आहार-दान पर ही होते हैं; तीर्थंकरों के कल्याणकों पर भी नहीं।
आर्यिका श्री विज्ञानमती माताजी
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आहार दान जो श्रद्वा एवं भक्ति पूर्वक प़ासूक अन्न आदि सुपात्र को देना कहलाता है। दान में सबसे महत्वपूर्ण आहार दान माना गया है। आहार दान से अपने कर्म कटते हैं एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पंचाश्रर्य आहार दान प्रकार ही होता है,यह तीर्थंकरों के अन्य अवसर पर नहीं होता है।
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आहार दान जो श्रद्वा एवं भक्ति पूर्वक प़ासूक अन्न आदि सुपात्र को देना कहलाता है। दान में सबसे महत्वपूर्ण आहार दान माना गया है। आहार दान से अपने कर्म कटते हैं एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि पंचाश्रर्य आहार दान प्रकार ही होता है,यह तीर्थंकरों के अन्य अवसर पर नहीं होता है।