इच्छायें

जीवन एक ऐसा सफ़र है कि मंज़िल पर पहुँचा तो मंज़िल ही बढ़ा दी – यही पतन का कारण है।
क्या करें ?
उन इच्छाओं का ध्यान करो जब पुण्य सबसे कम थे, इच्छाओं को बार-बार बदलो मत/ बढ़ाओ मत।

मुनि श्री सुधासागर जी

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2 Responses

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि इच्छाओं की मंजिल पर पहुंचने के बाद ओर इच्छाओं की सोच होती है तो वह पतन का कारण होता है। अतः अपनी इच्छाओं को बार बार मत बदलो अथवा ज्यादा मत बढ़ाओ। अतः जीवन में सीमित इच्छाएं रखना आवश्यक है ताकि अपनी मंजिल प्राप्त करने में समर्थ हो सकतें हो। जीवन में इच्छाओं को पुण्य अर्जित करने के लिए होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

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