“मेरा मकान अच्छा हो” चलेगा/दोष नहीं,
पड़ौसी से अच्छा हो – अपराध;
प्रतिस्पर्धा खुद से ठीक, दूसरों से गुनाह ।
इच्छा इतनी करो कि बिस्तर पर जाते समय शेष ना रह जाय, नींद निर्विकल्प आये ।
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जीवन में इच्छायें तो बहुत होती हैं लेकिन मेरा मकान पड़ोसी से अच्छा हो यह अपराध की श्रेणी में आता है। अतः जीवन में इच्छा इतनी करना चाहिए ताकि विस्तर पर जाते समय कोई इच्छा शेष न रहे तभी नींद निर्विकल्प आती है ।
जीवन में इच्छायें सीमित करना चाहिए ताकि कोई चिंता न रहे तभी जीवन का आनंद आ सकता है।
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जीवन में इच्छायें तो बहुत होती हैं लेकिन मेरा मकान पड़ोसी से अच्छा हो यह अपराध की श्रेणी में आता है। अतः जीवन में इच्छा इतनी करना चाहिए ताकि विस्तर पर जाते समय कोई इच्छा शेष न रहे तभी नींद निर्विकल्प आती है ।
जीवन में इच्छायें सीमित करना चाहिए ताकि कोई चिंता न रहे तभी जीवन का आनंद आ सकता है।