उत्तम आकिंचन्य
- बाह्य और अंतरंग ममत्व का पूरी तरह से छूटना उत्तम आकिंचन्य है ।
- परिग्रह तो दुख ही है, क्योंकि इसमें रागद्वेष उत्पन्न होता है ।
- परिग्रह का भाव क्यों आता है ?
1. लोभ के कारण ।
2. दूसरों का वैभव देखने से ।
- वैभव कम होने से दीनता नहीं आती ?
नहीं, आनंद आता है ।
परिग्रह के साथ तो आनंद का भ्रम है क्योंकि इसमें तो आकुलता हमेशा बनी रहती है ।
- आकिंचन्य लाने के लिये क्या करें ?
1. न्याय पूर्वक अहिंसक व्यापार करें ।
2. कर्म फल में विश्वास रखें (जो कम ज़्यादा मिला है वो मेरे पूर्व कर्मों का फल है)।
3. अपने से छोटों को देखें और जो मिला है उसमें संतोष रखें ।
4. साधुजनों की संगति करें ।
5. अपने आत्म स्वरूप को पहचानें और चिंतन करें ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी – पाठ्शाला (पारस चैनल)
- एक कंजूस आदमी का लड्डू जमीन पर गिर गया, उसने उठाकर थैली में डाल लिया ।
लोगों के टोकने पर उसने कहा घर जाकर इसे साफ़ करके फेंक दूंगा ।
हम पैसा कमाने का उद्देश्य भी कुछ ऐसे ही बताते हैं –
“हम तो ज्यादा इसलिये कमाते हैं ताकि ज्यादा दान दे सकें ।”
यानि पहले कीचड़ में लिप्त हो फिर सफ़ाई करो ।
रत्नत्रय- भाग-2
2 Responses
Nice sharing… Thanx for it…
The eg of Kanjus aadmi is similar to the gatha in Ishtopadesh..
Great.
HariBol.