आकिंचन्य धर्म
“यह मेरा है”
ऐसे भाव का त्याग करना ही आकिंचन्य धर्म है ।
2) मछली पानी के बाहर आने पर मरने का एक कारण आक्सीजन की अत्यधिक मात्रा भी होती है, मनुष्य भी शुध्द आक्सीजन नहीं ले सकता ।
वैभव की अधिकता भी हमारे लिये ऐसा ही कारण बन जाती है ।
“यह मेरा है”
ऐसे भाव का त्याग करना ही आकिंचन्य धर्म है ।
2) मछली पानी के बाहर आने पर मरने का एक कारण आक्सीजन की अत्यधिक मात्रा भी होती है, मनुष्य भी शुध्द आक्सीजन नहीं ले सकता ।
वैभव की अधिकता भी हमारे लिये ऐसा ही कारण बन जाती है ।
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One Response
Suresh chandra jain
Aakinchan dharma ka saar; upar diya hua vaakya sahi hai;
“yeh mera hai” aisa kehna chodna padega, tabhi dharm ka laabh milega.