उत्तम मार्दव

  • मान का उल्टा यानि कोमलता और विनयशीलता ।
  • मान के रूप – होने और ना होने, दोनों में मान आता है ।
    ( वैभव आदि के होने तथा सम्मान आदि ना होने में ) ।
  • मान स्वभाव नहीं, अज्ञान से आता है ।
  • कैसे बचें ?
    सोचें
    1. मुझे जो मिला है वह मेरे पूर्व के कर्मों से मिला है और जो नहीं मिला है, वो पुण्य की कमी से ।
    2. हम सब अच्छी बुरी अवस्थायों से गुज़रे हैं और गुज़रेंगे,
    जैसे इंदिरा गांधी बहुत प्रसिद्ध प्रधानमंत्री थीं, फिर उतरीं और पुन: बनीं ।
    3. धर्म की दृष्टि से देखें तो आत्मा ना छोटी है ना बड़ी ।
    4. हमारे पास जो भी है वो सब Temporary है ।
    5. दूसरों के गुणों पर दृष्टि रखें और उनकी प्रशंसा करें ।
    6. अपने अंदर कर्ता, स्वामित्व और भोगत्व का भाव ना आने दें ।
    7. अपने दोषों पर दृष्टि रखें ।
  • मार्दव धर्म का लाभ
    1. पुण्य मिलता है ।
    2. कर्म कटते हैं ।
    3. इस जन्म और अगले जन्मों में यश मिलता है ।
    4. आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है ( क्योंकि मार्दव आत्मा का स्वभाव है ) ।

    पं. रतनलाल बैनाड़ा जी – पाठ्शाला  (पारस चैनल)

  • Burnt grass acts  as a manure,
    Burnt Desires make the progress sure,
    Burnt Coal gets rid of  blackness,
    Burnt  Ego leads a man to progress

    ( Ms. Rishika- Gauhati)

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