अपन आनन्द लें उस चीज़ का जो अपने को प्राप्त है ।
लेकिन जो अपने पास है वह दिखता नहीं, जो दूसरों के पास है हमें वह ही दिखता है।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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शौच धर्म का तात्पर्य लोभ नहीं करना,जीवन में पवित्र आचरण में नम़ता, विचारों में निर्मलता लाना ही धर्म है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उत्तम शौच में लोभ नहीं करना चाहिए। अतः आनन्द लो जो अपने आप को प्राप्त है। अपने पास का नहीं दिखता,जो दूसरों के पास है हमें वही दिखता है। अतः जीवन में लोभ नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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शौच धर्म का तात्पर्य लोभ नहीं करना,जीवन में पवित्र आचरण में नम़ता, विचारों में निर्मलता लाना ही धर्म है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि उत्तम शौच में लोभ नहीं करना चाहिए। अतः आनन्द लो जो अपने आप को प्राप्त है। अपने पास का नहीं दिखता,जो दूसरों के पास है हमें वही दिखता है। अतः जीवन में लोभ नहीं करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।