जो अपने कार्य/कर्तव्य में डूब जाता है, वह उस कार्य/कर्तव्य से कभी ऊबता नहीं है ।
धर्म के क्षेत्र में तो नित नए आनंद का अनुभव होता रहता है सो ऊबने का तो प्रश्न ही नहीं, उल्टे उत्साह बढ़ता ही रहता है ।
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4 Responses
जो लोग अपने कार्य/कर्तव्य से ऊबते नहीं हैं, वही उत्साह से आगे बढ़ते रहते हैं, वही सफल रहते हैं ।
इसी प्रकार यदि धर्म क्षेत्र में भी उत्साह बना रहा, तो हम अपना कल्याण कर सकेंगे ।
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जो लोग अपने कार्य/कर्तव्य से ऊबते नहीं हैं, वही उत्साह से आगे बढ़ते रहते हैं, वही सफल रहते हैं ।
इसी प्रकार यदि धर्म क्षेत्र में भी उत्साह बना रहा, तो हम अपना कल्याण कर सकेंगे ।
Can the correlation between the first and second line be explained please?
नित नए आनंद में ऊब कैसी !
Item में भी और समझा दिया है ।
Okay.