पांचों मिथ्यात्व में सबसे घातक एकांत-मिथ्यात्व है, क्योंकि इसमें कषाय की अधिकता रहती है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
एकांत मिथ्यात्व का मतलब अनेक धर्मात्मक वस्तु में से किसी एक धर्म का करना होता है।
कषाय का मतलब आत्मा में होने वाली क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं यह चार प्रकार की होती है क़ोध,मान, माया और लोभ रुप कषायें होती हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है पांचों मिथ्यात्व में सबसे घातक एकांत मिथ्यात्व है, क्योंकि इसमें कषाय की अधिकता रहती है।
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एकांत मिथ्यात्व का मतलब अनेक धर्मात्मक वस्तु में से किसी एक धर्म का करना होता है।
कषाय का मतलब आत्मा में होने वाली क़ोधादि रुप कलुषता को कहते हैं यह चार प्रकार की होती है क़ोध,मान, माया और लोभ रुप कषायें होती हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है पांचों मिथ्यात्व में सबसे घातक एकांत मिथ्यात्व है, क्योंकि इसमें कषाय की अधिकता रहती है।
“Krodh” aur “Maan” kashay ki adhikta rehti hai, na?
मुख्यता तो मान की, जैसा महाराज जी ने कहा,
हाँ, मान की पूर्ति न होने पर क्रोध आयेगा ही ।
Okay.