औदारिक-मिश्र

धवला तथा गोमटसार के अनुसार औदारिक और कार्मण वर्गणायें, अपर्याप्तक अवस्था में ग्रहण करने से इसे औदारिक-मिश्र कहते हैं ।
पर सर्वार्थसिद्धी के अनुसार औदारिक-मिश्र वर्गणायें अलग प्रकार की होती हैं और मिश्र अवस्था में वे ही ली जाती हैं ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 24, 2010

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930