कर्मबंध से बचने के लिये बहुत सावधान रहना होता है –
किसको देख रहे हो ?
क्यों देख रहे हो ??
हिंसाकृतों को/परिग्रह को देखने में आनंद लिया तो कर्मबंध हुआ।
दूसरों के परिग्रह को विस्मय से देखने में भी परिग्रह-परिमाण में दोष लगता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि कर्मबंध के लिए बहुत सावधान रहना आवश्यक है। जैसे हिंसाकृत या परिग़ह देखने में आंनद लिया तो कर्मबंध अवश्य होता है। इसमें दूसरे के परिग़ह को विस्मय होने पर परिग़ह-परिमाण में दोष लगता है। जीवन में मन वचन काय के द्वारा कुछ न कुछ होता रहता है, अतः इसमें सावधान होना परमावश्यक है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि कर्मबंध के लिए बहुत सावधान रहना आवश्यक है। जैसे हिंसाकृत या परिग़ह देखने में आंनद लिया तो कर्मबंध अवश्य होता है। इसमें दूसरे के परिग़ह को विस्मय होने पर परिग़ह-परिमाण में दोष लगता है। जीवन में मन वचन काय के द्वारा कुछ न कुछ होता रहता है, अतः इसमें सावधान होना परमावश्यक है।