क्रिया / भाव

अच्छी/शुभ क्रियायें यदि बुरे भाव से भी की जायें तो भी फायदेमंद रहतीं हैं क्योंकि वे अच्छी हैं सो अच्छा ही करेंगी।
दु:ख पड़ने पर वे याद आती हैं/सुकुन देती हैं।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. जैन धर्म में भावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि अच्छी या शुभ क़ियायें यदि बुरे भाव से भी की जावें तो भी फायदेमंद रहती हैं, क्योंकि वे अच्छी है तो अच्छा करेंगी।दुख पड़ने पर वे याद आती है एवं सकून मिलता है।

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