क्रोध
1. तामसिक – दूसरों को सताने – मरणांतक
2. राजसिक – अहंकार पुष्टि – दीर्घकाल
3. सात्विक – दूसरों की भलाई के लिये – अल्पकाल
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
1. तामसिक – दूसरों को सताने – मरणांतक
2. राजसिक – अहंकार पुष्टि – दीर्घकाल
3. सात्विक – दूसरों की भलाई के लिये – अल्पकाल
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
क़ोध का मतलब अपने या दूसरों के अहित परिणाम होना है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि क्रोध को, तामसिक,राजसिक और सात्विक में परिभाषित किया गया है।